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‘सच्चा राही’ के एडीटर का परिचय स्वयं एडीटर के कलम से

‘‘एक परिचय’’

सम्पादक ‘‘सच्चा राही’’ नदवतुल उलमा 

मुहम्मद गुफ़रान नदवी

मेरा जन्म स्थान जौरास जिला बाराबंकी उ0प्र0 है। मेरी प्रारम्भिक षिक्षा मेरे गाँव जौरास में हुई जो लखनऊ से पूरब जानिब 35 किलोमीटर की दूरी पर गोमती नदी के तट पर है। मेरी जन्म तिथि 1 जनवरी, 1944 ई0 है, अगरचि मेरा दाखिला गाँव के प्राइमरी स्कूल में कराया गया लेकिन उर्दू हिन्दी र्कुआन मजीद की इब्तिदाई तालीम अपने वालिद सय्यद मुहम्मद साहब मरहूम से हासिल की। नमाज़ और वजू की अमली मष्क़ (क्रियात्मक प्रयोग) वालिदा साहिबा मरहूमा ने कराई। अल्लाह तअ़ाला उन दोनों पर अपनी रहमतें नाज़िल फ़रमाये। प्राइमरी का पाँचवां दर्जा पास करने के बाद, घर के ज़िम्मेदारों के मष्वरे से दारुल उलूम नदवतुल उलमा में दाखिले का प्रोग्राम बना, इस सिलसिले में मैंने अपने फूफ़ीज़ाद भाई मौलाना अहमद रफ़ी नदवी मरहूम से अरबी भाशा की प्रारम्भिक पुस्तकें और अरबी ग्रामर पढ़ी। उन्होंने बहुत मेहनत और तवज्जुह से पढ़ा कर नदवा में दाख़िला कराया। ऐडमीषन टेस्ट में कामयाबी के बाद अरबी के दूसरे दर्जे में दाख़िला हुआ, नदवा से मैंने आलिम, फाज़िल किया, उसके बाद लखनऊ विष्वविद्यालय से मैंने अरबी में एम0ए0 किया। लेकिन सच्ची और वास्तविक बात यह है कि मेरे अन्दर जो भी इल्मी दीनी लियाक़त आई वह सब दारुल उलूम नदवतुल उलमा और वहाँ के असातिज़ा का फै़ज़ है।

सन् 1970 ई0 में मुफ़क्किरे इस्लाम मौलाना सय्यद अबुल हसन अली हसनी नदवी रह0 के आदेषानुसार मजलिस तहक़ीक़ात व नष्रियाते इस्लाम से सम्बन्धित हुआ जहाँ लगभग तीस साल तक काम करता रहा, यह तीस साल हमारी ज़िन्दगी के क़ीमती तरीन (बहुमूल्य) दिन थे। अल्लाह ने हमें एक बड़े आलिमे रब्बानी और वरगुज़ीदा (महापुरूश) बन्दे के पास रह कर काम करने का मौक़ा दिया। मौलाना मरहूम के इन्तिक़ाल के बाद नदवे के ज़िम्मेदारों ने हमें षोब-ए-दावतो इरषाद में मुन्तक़िल कर दिया, अलहमदुलिल्लाह सन् 2001 ई0 से षोब-ए-दावतो इरषाद व षोब-ए-मकातिबे षहर, और जून 2004 ई0 मासिक पत्रिका ‘‘सच्चा राही’’ के सहायक की हैसियत से काम कर रहा था। भूतपूर्व सम्पादक डाॅ0 हाफ़िज़ हारून रशीद सिद्दीक़ी का दिसम्बर, 2021 में देहान्त हो गया, उनके देहान्त के बाद ज़िम्मेदारों ने मुझे ‘‘सच्चा राही’’ का सम्पादक नियुक्त किया।