नव वर्ष 2024

सच्चा राही जनवरी-2024
January 5, 2024

नव वर्ष
मासिक पत्रिका ‘‘सच्चा राही’’ का यह अंक आपकी सेवा में जिस समय पहुँचेगा, उस समय आप गत वर्ष सन् 2023 को अलविदा कह रहे होंगे और नव वर्ष 2024 का स्वागत कर रहे होंगे, ज़िन्दा क़ौमें ऐसे अवसर पर अपने बीते हुए साल का जाएज़ा लेती हैं और विचार करती हैं कि हमने क्या खोया और क्या पाया, यदि हमसे ग़लतियाँ और कोताहियाँ हुईं तो फिर उनको न दोहराएं, दुनिया में ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम है जिन्होंने अपने समय की क़दर की हो और उसका मूल्य अदा किया हो, ‘‘गया वक़्त फिर हाथ आता नहीं’’ समय के संबंध से यह बात बीच में आ गई वास्तविक और मौलिक बात बीते हुए साल और आने वाले साल की है, पिछले साल मौत, ज़िन्दगी, खुशी और ग़मी की कितनी घटनाएं घटीं, वह सब बातें शायद हमारे और आप की जानकारी में सुरक्षित न हों, लेकिन फ़िलिस्तीन की सरज़मीन पर इस्राईल के वहशियना हमले और ख़ौफ़नाक बम्बारी को कोई छोटा बड़ा इन्सान नहीं भूल सकता है, आज की डिजिटल मीडिया ने पूरे विश्व को इस्राईली बरबरता दिखला दी, बर्बरता के ऐसे दृश्य सामने आए जिनको देखने के बाद यह कहना पड़ता है कि इन्सान के रूप में जंगल के यह शेर और भेड़िये हैं, जिनके मुँह इन्सान का खून लग चुका है।
07 अक्तूबर, 2023 से इस्राईल और फ़िलिस्तीन के बीच जो जंग शुरु हुई थी वह अब तक जारी है, बीच में पाँच से छः दिनों की जंगबन्दी हुई थी उसके बाद घमासान की लड़ाई हो रही है, जंग की जो तफ़सीलात आ रही हैं उससे मालूम होता है कि इस्राईल, ग़ाज़ा पट्टी पर ज़मीनी, हवाई और समुद्री रास्तों से हमलावर है तबाही और बरबादी के जो मनाज़िर सामने आ रहे हैं वह नाक़ाबिले बयान हैं, और दिल को दहलाने वाले हैं, एक तरफ़ लशकरे जर्रार है और दूसरी ओर निहत्थे फ़िलिस्तीनी अरब हैं, इस्राईली अत्याचार और बरबर्ता के सामने अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार के परख़च्चे उड़ गये, हज़ारों माओं की गोदें सूनी हो गईं जिनके मासूम और ख़ूबसूरत बच्चे इस्राईली बम्बारी में तड़प तड़प कर मर गये, जो ज़िन्दा बचे उनके शरीर घायल और बमों की आग से झुलसे हुए हैं, अगर हक़ीक़त की निगाह से देखा जाए तो, प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह तृतीय विश्वयुद्ध है, इस्राईल इस जंग में तनहा नहीं है उसके साथ दुनिया की सुपर पावर अमरीका जो अपने हथियारों और पूरी आर्थिक सहायता के साथ इस्राईल के साथ खड़ा है, इसके अलावा बरतानिया, फ्रांस जर्मन, यूरोप के सभी देश हैं यह वही देश हैं जिनकी कूटनीति और षडयंत्र की वजह से इस्राईल वजूद में आया, इतिहास का अध्ययन करने वाले भलीभांति जानते हैं कि ब्रिटिस इम्पाएर और उसके सहयोगियों ने अपने जाती फ़ायदे और मध्य पूर्व देशों पर अपना कन्ट्रोल मज़बूत करने के लिए इस्राइलियों (यहूदियों) को दूसरे देशों से ला कर फ़िलिस्तीन की सर ज़मीन पर आबाद किया यह सारी राजनीति द्वितीय विश्व युद्ध के बाद साकार हुई और 1948 ई0 में इस्राईल स्टेट घोषित हुई, उसके बाद फिलिस्तीनियों को तंग किया जाने लगा उनकी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा होने लगा, अभी तक छोटी झड़पें और छोटी जंगें होती थीं, 1962, 1972 में जो जंगे हुईं थी वह हफ़्ते दस दिन में थम गईं थीं, लेकिन इस बार 7 अक्तूबर, 2023 को जो युद्ध छिड़ा, थमने का नाम नहीं ले रहा है, बीच में पाँच छः दिन के लिए जंग बन्दी हुई, लेकिन उसके बाद भयानक जंग शुरु हो गई। वायु सेना और समुद्री सेना और ज़मीनी फ़ोर्सेज़ हर ओर से फ़िलिस्तीनी घिरे हुए हैं, ऐसी हालत में वह अपना कितना और कैसे बचाव कर सकते हैं इसका अन्दाज़ा हम और आप यहाँ बैठ कर नहीं कर सकते हैं, एक तनहा फ़िलिस्तीन जिस पर आक्रमणकर्ता इस्राईल और उसके सहयोगी सुपर पावर अमरीका और पूरा यूरोपियन ब्लाक, इतने शत्रुओं के बीच में फ़िलिस्तीन डटा हुआ है, जहाँ चारों ओर बच्चे, बूढे और जवानों की बिखरी हुई लाशें हैं, जिनको दफ़न करने का इन्तिज़ाम भी नहीं, हम कैसे कहें कि 21वीं सदी की यह दुनिया पढ़ी लिखी, उन्नतिशील और प्रगतिशील है। कहा जाता है कि इस भूमण्डल पर वह उम्मत भी रहती है जिसको क़ुरआन में ‘‘ख़ैर उम्मत’’ के टाईटल से याद किया गया है और वह 57 देशों की मालिक भी है, उस उम्मत को नबी की ओर से आदेश दिया गया था, कि ‘‘तुम अपने भाई की मदद करो चाहे वह ज़ालिम हो या मज़लूम’’ फ़िलिस्तीनी भाइयों को हिंसा और रक्तपात से कब नजात मिलेगी, यह अल्लाह ही बेहतर जानता है इंशाअल्लाह उनकी यह क़ुरबानियाँ रंग लायेंगी, परद-ए-ग़ैब से ख़ैर का दरवाज़ा ख़ुलेगा।
फ़िलिस्तीनी भाइयों ने सब्र औेर इस्तिक़ामत की मिसाल क़ाएम कर दी। अल्लाह ने ऐसे बन्दों की बड़ी तारीफ़ की है।
मैं समझता हूँ कि वह अपने दुशमनों को संबोधित करते हुए कह रहे हैंः-
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुए क़ातिल में है।।
बुद्धिमान और समझदार इंसान वही है जो अपनी समीक्षा स्वयं करे कि दिन व रात के 24 घण्टों में कितने काम हमने लाभदायक किए और कितने हानिकारक, इस दृष्टिकोण से जब हम बीते हुए साल को देखेंगे तो हम अपने को घाटे में पाएंगे, जो समय चला गया पलट कर नहीं आएगा, अब हम नये वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, सबसे पहले हम प्रतीज्ञा करें कि पिछली ग़लतियों को नहीं दोहराएंगे, आने वाले साल में पूरी ज़िम्मेदारी के साथ अपने कर्तव्य को पूरा करेंगे, वह कर्तव्य ‘‘हुक़ू कुल्लाह’’ और ‘‘हुक़ूक़ुल इबाद’’ दोनों से संबंधित हैं यानी अल्लाह और उसके बन्दों दोनों का हक़ अदा किया जाए, एक मुसलमान के लिए हर हाल में अल्लाह का अज्ञा पालन अनिवार्य है, इसके बिना वह मोमिन और मुस्लिम नहीं, कर्तव्यों की एक लंबी सूची है, जिसकी तफ़सील आपको किताबों में मिल जाएगी, ईमान लाने के बाद इंसान पर सबसे पहला कर्तव्य नमाज़ को निर्धारित समय पर पढ़ना, सूरः निसा, आयत नं0- 103 के अनुकूल ‘‘बेशक नमाज़ ईमान वालों पर निर्धारित समय पर फ़र्ज़ है’’ नमाज़ का समय पर पढ़ना इस्लाम का मौलिक कर्तव्य है, अल्लाह के रसूल सल्ल0 ने फ़रमायाः- जिसने जानबूझ कर नमाज़ छोड़ दी वह कुफ्ऱ की सीमा में पहुँच गया। हम अल्लाह को हाज़िर व नाज़िर समझ कर दिल से प्रतिज्ञा करें प्रत्येक नमाज़ को उसके निर्धारित समय पर अदा करेंगे ताकि अल्लाह के फ़रमांबरदार बन्दों में हमारा नाम लिखा जाए। आने वाले साल के लिए हम यह भी प्रतिज्ञा करें कि हम अपने घरों और महल्लों से जिहालत को दूर करेंगे, इस जिहालत को दूर करने में जो परेशानियाँ और मुसीबतें होंगी उनको बर्दाश्त करेंगे, हमारा कोई बच्चा और बच्ची शिक्षा से वंचित न रहेगा, जिहालत एक कलंक है उसको मिटाइये, कि वास्तविकता यह है कि शिक्षा के मैदान में मुसलमनों का ग्राफ बहुत नीचे है, यदि हम चाहते हैं कि समाज में हमारा सम्मानीय स्थान हो, दुनिया और आख़िरत की हमें सफलता मिले तो दृढ प्रतिज्ञा करें कि अपने बच्चों को और क़ौम के बच्चों को शिक्षित बनाएंगे, ‘‘नव वर्ष का स्वागत नई उमंग और नये इरादों के साथ करें, गफ़लत और लापरवाही छोड़ कर बेदार और जागरूक बनें।
अमल से ज़िन्दगी बनती है जन्नत भी जहन्नम भी।
यह ख़ाकी अपनी फ़ितरत में न नूरी है न नारी है।।
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