दादा आदम अलैहि0 और इब्लीसे लईन

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दादा आदम अलै- हिस्सलाम की रचना (तख़्लीक़) और इब्लीसे लईन की अवज्ञा (नाफरमानी) का बयान पवित्र कुरआन में कई जगह आया है, हम यंा सूरे हि़ज्र का बयान लिखते हैंः-
अनुवादः- ‘‘और हमने सड़े हुए गारे से जो (सूख कर) खनखनाने लगता है आदमी को पैदा किया। और हमने जिन्नों को उससे पहले लू की आग से पैदा किया। और ऐ पैग़म्बर! उस वक्त को याद करो जब कि तुम्हारे परवरदिगार ने फ़िरिश्तों से कहा कि मैं सड़े (खनखनाते) हुए गारे से एक आदमी को पैदा करने वाला हूँ। तो जब मैं उसे पूरा बना चुकूं और उसमें अपनी रूह फूंक दूं तो तुम उसके आगे सज्दे में (दण्डवत में) गिर पड़ना। चुनांचे (आदम अलैहि0 के पैदा होते ही) सब के सब तमाम फ़िरिश्तों ने (ह़ज़रत आदम अलैहि0) को सज्दा किया। मगर इब्लीस शैतान ने सज्दा करने वालों में शामिल होने से इन्कार किया। मगर इस पर अल्लाह ने कहा ऐ इब्लीस! तुझको क्या हुआ कि तू सज्दा करने वालों में शामिल नहीं हुआ? वह बोला कि मैं ऐसे शख़्स को सज्दा न करूंगा जिस को तूने सड़े (सूख कर) खनखनाते हुए गारे से पैदा किया। अल्लाह ने फरमाया, पस तू यहां (जन्नत) से निकल, तू फिटकारा हुआ है। और अन्तिम न्याय (यानी आखिरत) के दिन तक तुझ पर फिटकार बरसेगी, शैतान ने कहा ऐ मेरे परवरदिगार! मुझ को उस दिन तक की मुहलत दे जब कि मुर्दे उठा कर खड़े किये जायेंगे। अल्लाह ने कहा कि अच्छा तुझ को मुहलत दी गयी, उसी ठहरे हुए (नीयत) क़ियामत के दिन तक के लिए। शैतान ने कहा कि ऐ मेरे परवरदिगार! जैसी तूने मेरी राह मारी मैं भी ज़मीन में इन आदम की औलादों को बहारें दिखाऊँगा और इन सबको राह से बहकाऊँगा। सिवाय उनके जो तेरे चुने बन्दे हैं (उन पर मेरा बस न चलेगा)। अल्लाह ने कहा कि यही मेरी बन्दगी है। मुझ तक पहुंचने की सीधी राह है। जो मेरे सेवक हैं उन पर किसी तरह का ज़ोर न होगा सिवाय उन पर जो तेरे पीछे चल कर गुमराहों में से हो जायें। और ऐसे तमाम गुनहगार लोगों के लिए हमारी ओर से दोज़ख़ का वादा है। उस के सात दरवाज़े हैं, हर दरवाज़े के लिए उन दोज़ख़ी लोगों की जमातें अलग अलग होंगी। इन नरकवालों के ख़िलाफ जो परहेज़गार हैं वे जन्नत के बाग़ों और चश्मों में होंगे। उन से कहा जायेगा कि सलामती के साथ इतमीनान से इन बागों में आओ। और उनके दिलों में जो कुदूरत (मालिनता) होगी उसको हम दूर कर देंगे और वे एक दूसरे के आमने-सामने तख्तों पर भाई-भाई के समान बैठेंगे।
(अलहि़ज्रः 26-47)
इनशाअल्लाह जन्नत में हज़रत अ़ली रज़ि0 और हज़रत मुअ़ाविया रज़ि0 पास पास बैठे होंगे उनके दिल यहां भी बाहम साफ़ थे वहां और साफ हो जाऐंगे।
सूरे अअ़राफ़ का यह बयान भी पढ़ियेः-
अनुवादः ‘‘और हमने (अल्लाह ने) आदम से कहा कि ऐ आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी जन्नत में रहो, और जहां से चाहो खाओ, मगर इस दरख़्त के पास न फटकना, नहीं तो तुम भी अन्यायियों में हो जाओगे। फिर शैतान ने (मियाँ-बीवी) दोनों को बहकाया ताकि उनकी पर्दगी की चीज़ें, उनसे ओझल थीं, उन पर ज़ाहिर कर दे। और कहने लगा तुम्हारे परवरदिगार ने जो इस दरख़्त (के फल खाने) से तुमको मना किया है। तो इसका कारण यही है कि कहीं ऐसा न हो कि तुम दोनों फ़िरिश्ते बन जाओ या हमेशा जीने वालों में से हो जाओ। और उसने क़सम खाई कि मैं तुम्हारी भलाई चाहने वाला हूं। ग़रज़ धोखा दे कर शैतान ने उनको मना किये गये दरख़्त की ओर रुजू कर दिया। तो ज़्यों ही उन्होंने उस दरख़्त का मज़ा चखा तो दोनों के पर्दे की चीज़ें उन पर ज़ाहिर हो गई और पर्दे का ध्यान आते ही वह अंग ढकने के लिए बहिश्त के पेड़ों के पत्ते अपने ऊपर ढाकने लगे। और तब उनके पालन कर्ता ने उनको पुकारा कि क्या मैंने तुम को इस वृक्ष की मनाही नही की थी और तुम से नहीं कह दिया था कि शैतान तुम्हारा खुला दुश्मन है। दोनों कहने लगे कि ऐ मेरे परवरदिगार! हमने अपने आप अपने ऊपर ज़ुल्म किया, और अगर तू हमको क्षमा नहीं करेगा और हम पर रहम नहीं करेगा तो यक़ीनन हम घाटे में हो जायेंगे। इस पर अल्लाह ने कहा कि तीनों (तुम मियाँ बीवी और शैतान तीनों जन्नत से) नीचे उतर जाओ, तुममें एक का एक दुश्मन हो। और तुमको एक खास वक़्त तक ज़मीन पर रहना है और एक वक़्त तक ज़िन्दगी बसर करना है। और फरमाया कि इस ज़मीन में ही तुम सब ज़िन्दगी बिताओगे और उसी में मरोगे, और उसी में से क़ियामत के दिन निकाल कर खड़े किये जाओगे।
(अलः अअ़राफः 19-24)
‘‘फिर आदम ने अपने पालनकर्ता से कुछ बातें प्राप्त कीं तो अल्लाह ने उनकी तौबा मान ली! बेशक वह बार-बार क्षमा करने वाला बेहद मेहरबान है’’।
(सूरः अल बक़रह-35)
इस बयान से ज्ञात हुआ कि जो इंसान ग़लती करे गुनाह करे उस पर लज्जित न हो अपितु तर्क प्रस्तुत करने लगे वह शैतान की राह पर है लेकिन जो इंसान अपनी ग़लती अपने गुनाह पर लज्जित हो और अल्लाह से क्षमा मांगे तो वह बाबा आदम अलैहिस्सलाम के मार्ग पर है। हम को चाहिए कि हम बाबा आदम अलैहिस्सलाम के मार्ग पर रहें। और शैतान को अपना दुशमन मानें और अऊज़ु बिल्लाहि मिनश्शैतानिर्रजीम पढ़ा करें।