हज़रत मुहम्मद सल्ल0 की प्रमुख विशेषता

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राष्ट्रीय एवं धार्मिक पक्षपात से रहित हो कर साफ़ और खुले ज़ेहन से सीरते नबवी (हज़रत मुहम्मद सल्ल0 के जीवन चरित्र) का अध्ययन करने वाले भली भांति जानते हैं कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम नैतिकता के शिक्षक और मानवता के मार्ग दर्शक हैं और आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मुख्य और प्रसिद्ध विशेषता रहमतुल लिल आलमीनी (समस्त सृष्टि के लिए करुणा) है। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का पूर्ण जीवन क्षमा, दया, प्रेम सद्व्यवहार, सहानुभूति, मानव सम्मान का दर्पण है आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की शिक्षा-दीक्षा और सहाबा किराम के साथ आप के व्यवहार का मौलिक सार सहानुभूति रहा है, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम केवल मुसलमानों के लिए रहमत नहीं अपितु आप सारे जहाँ के लिए रहमत थे, अल्लाह तआला कहता हैः ऐ मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हमने तुमको सारे संसार के लिए दयालुता बना कर भेजा है। (अल-अंबिया-107)
हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवनी के अध्ययन से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की रहमत व करूणा की विशेषता आप के पवित्र जीवन के कामों में प्रभुत्वशाली है, आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ज़िन्दगी में कितनी कठिन घड़ियाँ और समस्यायें आईं, कितनी मुसीबतों और परेशानियों से आप को गुज़रना पड़ा, लेकिन किसी भी हाल में आपके नैतिक आचरण, सद्व्यवहार प्रेम भावना में कमी नहीं आयी, जब आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने इस्लाम की दावत शुरु की तो अपने ही क़बीले के लोगों ने सख़्त से सख़्त तकलीफ़ें और कष्ट पहुँचाया, आप का बाईकाट किया गया सच्चाई के रास्ते में रोड़े अटकाये गये, लेकिन हर हाल में आपकी करुणा और दया की भावना ऊपर रही, आपकी यह विशेषताएं केवल आप तक सीमित न थीं बल्कि आपकी शिक्षा और व्यवहार के प्रभाव से सहाबा किराम भी इसी रंग में रंगे हुए थे पवित्र र्कुआन कहता हैः-
रहमान के प्रिय बन्दे वही हैं जो धरती पर नम्रता पूर्वक चलते हैं और जब जाहिल उनके मुँह लगते हैं तो कह देते हैं ‘‘तुम को सलाम!’’ जो अपने रब के आगे सजदे में और खड़े रातें गुज़ारते हैं, जो कहते हैं कि ‘‘ऐ हमारे रब! जहन्नम की यातना को हमसे हटा दे।’’ निश्चय ही उसकी यातना चिमट कर रहने वाली है। निश्चय ही वह जगह ठहरने की दृष्टि से भी बुरी है और स्थान की दृष्टि से भी। जो ख़र्च करते हैं तो न तो अपव्यय करते हैं और न ही तंगी से काम लेते हैं, बल्कि वे इनके बीच मध्य मार्ग पर रहते हैं। जो अल्लाह के साथ किसी दूसरे पूज्य को नहीं पुकारते और न नाहक़ किसी जीव को (जिसके क़त्ल) को अल्लाह ने हराम किया है, क़त्ल करते हैं। और न वे व्यभिचार करते हैं जो कोई यह काम करे वह गुनाह के वबाल से दोचार होगा।
(अल फुरकानः 63-68)
एक दूसरे अवसर पर र्कुआन कहता है सफल हो गये ईमान वाले, जो अपनी नमाज़ों में विनम्रता अपनाते हैं, और जो व्यर्थ बातों से पहलू बचाते हैं, और जो ज़कात अदा करते हैं, और जो अपने गुप्तांगों की रक्षा करते हैं सिवाय इस सूरत के कि अपनी पत्नियों या लौंडियों के पास जाएं कि इस पर वे निन्दनीय नहीं हैं। परन्तु जो कोई इसके अतिरिक्त कुछ और चाहे तो ऐसे ही लोग हद से आगे बढ़ने वाले हैं। और जो अपनी अमानतों और अपनी प्रतिज्ञा का ध्यान रखते हैं, और जो अपनी नमाज़ों की रक्षा करते हैं, वही वारिस होने वाले हैं। जो फिरदौस की विरासत पाएंगे, वे उसमें सदैव रहेंगे।
(अल मोमिनून 1-11)
ऊपरी आयतों से मालूम होता है कि रहमत, करूणा दया, क्षमा, सहानुभूति, मानव सम्मान इस्लाम की मौलिक और मुख्य विशेषताएं हैं हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने केवल इन्सानों ही के साथ करूणा दया की शिक्षा नहीं दी बल्कि जानवरों और कीड़ों मकोड़ों के साथ भी करूणा दया और नर्मी व सहानुभूति की शिक्षा दी, हदीसों और हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की जीवन चरित्र की किताबों में इसके उदाहरण बड़ी संख्या में मिलते हैं। हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम दया और नम्रता में समस्त मानवता के नायक थे, हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने खुद फ़रमाया है ‘‘अद्दबनी रब्बी फअहसन तादीबी’’ मेरा प्रशिक्षण, अल्लाह तआला ने किया और बहुत अच्छा किया है, हज़रत जाबिर रज़ि0 कहते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया अल्लाह तआला ने मुझे अच्छे अख़लाक़ और अच्छे कामों को पूरा करने के लिए भेजा है, जब हज़रत आइशा रज़ि0 से आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के व्यवहार के विषय में पूछा गया तो उन्होंने बताया आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम व्यवहार में र्कुआन का पूर्ण आदर्श थे, सहनशीलता और हृदय की विशालता में आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का जो स्थान था वहाँ तक बड़े-बड़े बुद्धिमानों की बुद्धि और कवियों के विचार और कल्पना की पहुँच नहीं हो सकती।
मानव जाति में उत्तम आचरण का सबसे बड़ा सूचक पैगम्बरों की जाति है और पैग़म्बरों में सर्वश्रेष्ठ हसती आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की है, इसी कारण अल्लाह तआला ने आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को इस विशेषता से सम्मानित किया था ‘‘तुम्हारे पास तुम्हीं में से एक रसूल आ गया है। तुम्हारा मुश्किल में पड़ना उसके लिए असहनीय है वह तुम्हारी भलाई के लिए बहुत इच्छुक है, वह मोमिनों के प्रति अत्यन्त करुणामय, दयावान हैं।’’
(सूरः तौबा-128)
कुछ न्याय प्रिय योरोपियन लेखकों ने अपनी किताबों में स्वीकार किया है कि मुसलमानों का स्वभाव दानशील, साहसी और क्षमा करने वाला है वह सदैव दुर्बलों के साथ न्याय और सद्व्यवहार करते हैं, इस्लामी इतिहास में इसके बहुत से उदाहरण पाये जाते हैं।